- नई दिल्ली, 28 जून, मात्स्यिकी और जलीय कृषि भोजन, पोषण, रोजगार, आय और विदेशी मुद्रा का एक महत्वपूर्ण स्रोत है। चूंकि मत्स्य स्वस्थ पशु प्रोटीन और ओमेगा 3-फैटी एसिड का एक किफायती और समृद्ध स्रोत है, अत: इसमें भूख और कुपोषण को कम करने की अपार क्षमता है। भारत समृद्ध और विविध मत्स्य संसाधनों से परिपूर्ण है और विभिन्न प्रकार के मत्स्य का उत्पादन करता है। भारत में, यह आशाजनक क्षेत्र प्राथमिक स्तर पर 2.8 करोड़ से अधिक मछुआरों और मत्स्य किसानों और मूल्य श्रृंखला में लगे कई लाख मछुआरों और मत्स्य किसानों को आजीविका, रोजगार और उद्यमिता प्रदान करता है। यह क्षेत्र उच्च रिटर्न भी प्रदान करता है । वैश्विक मत्स्य उत्पादन में लगभग 8% हिस्सेदारी के साथ भारत तीसरा सबसे बड़ा मत्स्य उत्पादक देश है । विश्व स्तर पर जलीय कृषि उत्पादन में भारत का दूसरा स्थान है और भारत शीर्ष झींगा उत्पादक और निर्यातक देशों में से एक है । पिछले नौ वर्षों के दौरान भारत सरकार ने मात्स्यिकी और जलीय कृषि क्षेत्र के समग्र विकास और मछुआरों और मत्स्य किसानों की आय बढ़ाने के लिए परिवर्तनकारी पहल की है। कुछ प्रमुख पहलों और परिणामों पर नीचे प्रकाश डाला गया है।
- मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी के लिए नए मंत्रालय का सृजन : मात्स्यिकी क्षेत्र की विशाल क्षमता को पहचानते हुए और मछुआरों और मत्स्य किसानों के कल्याण को ध्यान में रखते हुए तथा इस क्षेत्र के केंद्रित और समग्र विकास के लिए, भारत सरकार ने फरवरी, 2019 में एक अलग मत्स्यपालन विभाग बनाया और इसके बाद जून, 2019 में मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी का एक नया मंत्रालय बनाया गया ।
- मात्स्यिकी क्षेत्र में अब तक का सबसे अधिक निवेश: पिछले 9 वर्षों के दौरान, भारत सरकार ने मात्स्यिकी और जलीय कृषि क्षेत्र में निवेश बढ़ाया है। 2015 से केंद्र सरकार ने 38,572 करोड़ रुपये के कुल निवेश को मंजूरी दी है या घोषणा की है। इसमे शामिल है:
(क) नीली क्रांति योजना के तहत 5,000 करोड़ रु/- का निवेश;
(ख) मात्स्यिकी और जलकृषि अवसंरचना विकास निधि (एफ़आईडीएफ़) के लिए 7,522 करोड़ रु/- ;
(ग) प्रधान मंत्री मत्स्य संपदा योजना के तहत 20,050 करोड़ रु/- का निवेश ;
(घ) केंद्रीय बजट 2023-24 में पीएमएमएसवाई के अंतर्गत 6,000 करोड़ रुपये की उप-योजना की
घोषणा की गई ; - प्रमुख मात्स्यिकी योजना अर्थात प्रधान मंत्री मत्स्य सम्पदा योजना (पीएमएमएसवाई) 2020-21 से कार्यान्वयन के अधीन है और यह देश में मात्स्यिकी और जलीय कृषि क्षेत्र में अब तक का सबसे अधिक निवेश है। राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों और अन्य कार्यान्वयन एजेंसियों के लिए 2020-21 से 2022-23 तक पिछले तीन वर्षों के दौरान पीएमएमएसवाई के तहत 14,656 करोड़ रुपये की परियोजनाओं को मंजूरी दी गई है, इस प्रकार परिकल्पित निवेश का ~73% हासिल कर लिया गया है।
- रिकॉर्ड राष्ट्रीय मत्स्य उत्पादन : भारत की आजादी के समय मात्स्यिकी क्षेत्र पूरी तरह से एक पारंपरिक गतिविधि के रूप में थी । पिछले पचहत्तर वर्षों में, यह क्षेत्र अपने पारंपरिक और छोटे पैमाने की प्रकृति को बरकरार रखते हुए धीरे – धीरे एक वाणिज्यिक उद्यम में परिवर्तित हो गया है । 1950 से लेकर 2021-22 के अंत तक राष्ट्रीय मत्स्य उत्पादन में 22 गुना वृद्धि हुई है । पिछले 9 वर्षों के दौरान, भारत का वार्षिक मत्स्य उत्पादन 95.79 लाख टन (2013-14 के अंत में) से बढ़कर 162.48 लाख टन (2021-22 के अंत में) के सर्वकालिक रिकॉर्ड तक पहुंच गया है यानी 66. 69 लाख टन की वृद्धि हुई है । इसके अलावा, वर्ष 2022-23 के लिए राष्ट्रीय मत्स्य उत्पादन भी 174 लाख टन (अनंतिम आंकड़े) तक पहुँचने या उससे अधिक होने की उम्मीद है, जो 2013-14 की तुलना में 81% की वृद्धि है ।