गुरुग्राम, 29 जून। उद्योग नगरी मानेसर में किसानों के एचएसआईआईडीसी और तहसील कार्यालय पर की गई चढ़ाई और वहां की गई तोड़फोड़ को लेकर जिला प्रशासन ने अभी तक कोई केस नहीं दर्ज किया है. लेकिन कसम कस जारी है। इसका फैसला सरकार ने करना है।
एचएसआईआईडीसी के अधिकारियों और तहसील कार्यालय के कर्मचारियों ने इस बारे में अपने प्रशासनिक स्तर पर जिला प्रशासन को रिपोर्ट भेज दी है। प्रशासनिक सूत्रों का कहना है कि इस बारे में राजनीतिक पहलुओं पर भी चर्चा की जा रही है क्योंकि केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह समर्थक और जेजेपी के कई नेता इसमें बढ़-चढ़कर भाग ले रहे थे। उनका यह तर्क था कि अब नगर निगम और लोकसभा के चुनाव आ रहे हैं ऐसे में इलाके के लोगों की जन समस्याओं और उनके साथ देना उनकी मजबूरी है। यदि उनके साथ नहीं जाते तो इलाके में यह संदेश जाता कि किसानों की इतनी बड़ी मांग पर उनके समर्थक और उनके नेता चुप्पी साधे हुए हैं।
एसीपी मानेसर मुकेश कुमार का कहना है उन्हें अभी तक किसी की ओर से कोई शिकायत नहीं मिली है। जिससे मुकदमा दर्ज किया जा सके। जहां तक धरने की अनुमति की बात है मुझे इस बारे में कोई जानकारी नहीं है। वही विश्वसनीय सूत्र बताते हैं कि पिछले 1 वर्ष से मानेसर आईएमटी में जो किसानों ने धरना दिया हुआ है उसकी अनुमति प्रशासन से नहीं ली हुई है।
उधर भाजपा के विधायक सत्यप्रकाश का कहना है कि किसानों की उपरोक्त मांग पर पहले ही मुख्यमंत्री मनोहर लाल इलाके के लोगों के साथ मिल बैठकर फैसला ले चुके हैं और किसान उस पर सहमत हैं । इस बारे में 4 जुलाई को कैबिनेट की बैठक होने जा रही है। सरकार उसमें अपना निर्णय किसानों के साथ लिए गए फैसले के अनुसार हो जाएगा और लागू हो जाएगा। किसानों को पहले ही बता दी गई थी कि 4 जुलाई को कैबिनेट की बैठक हो सकती है ।
पार्टी स्तर पर भाजपा के नेता भी इस मामले पर नजर लगा कर बैठे हैं। उन्होंने देखा था कि किस तरह से किसान नेता राकेश टिकैत, पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक, आम आदमी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष डॉक्टर सुशील गुप्ता, कांग्रेस के नेता गण इस पूरे मामले पर राजनीति कर रहे थे। और वह इस मामले को आगे बढ़ाना चाहते हैं। भाजपा नेताओं का भी मत है कि इस मामले को तूल देने की जरूरत नहीं है इसीलिए पुलिस ने अभी तक कोई एफ आई आर दर्ज नहीं की है।
एक अधिकारी का कहना है कि तथाकथित किसान नेता जो पिछले 1 साल से राष्ट्रीय राजमार्ग के एक कोने पर धरना प्रदर्शन कर रहे हैं उसकी कोई अनुमति नहीं ली गई है।उद्देश्य भले ही कोई है लेकिन यह स्पष्ट रूप से कानून व्यवस्था का मामला है। उद्योग नगरी मानेसर में दुनिया भर की बड़ी-बड़ी कंपनियों के कार्यालय और फैक्ट्रियां हैं ।उसमें खासतौर पर होंडा और मारुति। जिसमें पहले भी बड़ी-बड़ी घटनाएं हो चुकी हैं। जो देश की राजनीति को हिलाने में कामयाब हो गई थी और देश की काफी बदनामी हुई थी। उसके बाद ही मानेसर में पुलिस प्रबंधन को काफी मजबूत बनाया गया था और यह तय हुआ था कि कानून व्यवस्था पर सख्ती से कार्रवाई हो।
प्रदर्शन और धरने की भी कोई अनुमति नहीं ली गई थी । नियमानुसार तो उस पर भी एफ आई आर बनती है लेकिन राजनीतिक नेतृत्व का इंतजार है जो फैसला ऊपर से होगा वही निर्णय होगा।