वर्षों से मेहनत करने वाले कार्यकर्ता खुद को हाशिए पर महसूस कर रहे हैं।
दक्षिणी हरियाणा में मनोहर लाल खट्टर और राव इंद्रजीत सिंह के बीच सत्ता संघर्ष, भाजपा संकट में
नई दिल्ली।
हरियाणा विधानसभा चुनाव 2024 से पहले भाजपा को दक्षिणी हरियाणा में आंतरिक कलह का सामना करना पड़ रहा है। मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर और केंद्रीय राज्य मंत्री राव इंद्रजीत सिंह के बीच टिकट वितरण को लेकर चल रही खींचतान अब खुलेआम हो चुकी है। यह सत्ता संघर्ष न सिर्फ पार्टी के भीतर असंतोष पैदा कर रहा है, बल्कि दक्षिणी हरियाणा के विकास को भी प्रभावित कर रहा है।
राव इंद्रजीत सिंह के बीच चल रही राजनीतिक लड़ाई ने भाजपा को मुश्किलों में डाल दिया है।
खट्टर-इंद्रजीत के बीच 9 साल पुरानी टकराहट
मनोहर लाल खट्टर और राव इंद्रजीत सिंह के बीच पिछले 9 वर्षों से चली आ रही राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता ने अब गंभीर मोड़ ले लिया है। दोनों नेता अपने समर्थकों को विधानसभा टिकट दिलाने के लिए पार्टी नेतृत्व पर दबाव बना रहे हैं। खट्टर के करीबी सहयोगी, जिनमें उनके ओएसडी, निजी सचिव, और मीडिया समन्वयक शामिल हैं, चुनावी टिकट पाने की कोशिश कर रहे हैं। लेकिन 67 टिकटों में से खट्टर अपने कुछ समर्थकों को टिकट दिलाने में सफल नहीं हो पाए हैं, जबकि राव इंद्रजीत ने अपने कुछ समर्थकों को टिकट दिलवाने में सफलता हासिल की है।
दक्षिणी हरियाणा में भाजपा की स्थिति कमजोर
खट्टर और इंद्रजीत के बीच इस सत्ता संघर्ष ने दक्षिणी हरियाणा में भाजपा की स्थिति को कमजोर कर दिया है। गुरुग्राम और फरीदाबाद जैसे प्रमुख क्षेत्रों में टिकट वितरण को लेकर आपसी टकराव सामने आया है। गुरुग्राम में राव इंद्रजीत और खट्टर के समर्थकों के बीच मतभेद सड़कों पर दिखने लगे हैं। कई भाजपा कार्यकर्ता पार्टी के खिलाफ हो गए हैं, कुछ ने तो पार्टी तक छोड़ दी है।
बादशाहपुर में भी भाजपा के भीतर संघर्ष
बादशाहपुर विधानसभा सीट पर भी भाजपा के भीतर असंतोष चरम पर है। राव नरबीर सिंह, जिन्हें पहले टिकट नहीं मिल पाई थी, अब केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के हस्तक्षेप के बाद चुनावी मैदान में उतर रहे हैं। राव नरबीर सिंह के नाम की घोषणा से पहले ही अमित शाह ने उन्हें दिल्ली में बुलाकर टिकट का आश्वासन दिया, जबकि भाजपा के कुछ वरिष्ठ नेता उनका विरोध कर रहे थे। इससे यह साफ है कि भाजपा के अंदरूनी संघर्ष ने टिकट वितरण को जटिल बना दिया है।
कार्यकर्ताओं में नाराजगी और चुनाव पर असर
दक्षिणी हरियाणा में टिकट न मिलने से कई भाजपा कार्यकर्ता और नेता निराश हैं। वर्षों तक पार्टी के लिए काम करने के बावजूद उन्हें नजरअंदाज किया जा रहा है, जिससे उनकी नाराजगी बढ़ती जा रही है। गुरुग्राम, रेवाड़ी और अन्य क्षेत्रों में भी कार्यकर्ताओं का आंतरिक विरोध देखने को मिल रहा है। कुछ नेताओं ने खुलकर चुनाव में पार्टी उम्मीदवारों को हराने की योजना बना ली है। इससे भाजपा के लिए आगामी चुनाव में चुनौतियां बढ़ सकती हैं।
परिवारवाद का बोलबाला
हरियाणा भाजपा में परिवारवाद का प्रभाव भी देखने को मिल रहा है। नेताओं के बीच अपने बेटों-बेटियों को टिकट दिलवाने की होड़ मची हुई है। इंद्रजीत अपने परिवार और करीबी समर्थकों को टिकट दिलाने के लिए पार्टी नेतृत्व पर दबाव बना रहे हैं। इसका सीधा असर पार्टी की एकजुटता पर पड़ रहा है, और कई वर्षों से मेहनत करने वाले कार्यकर्ता खुद को हाशिए पर महसूस कर रहे हैं।
भाजपा नेतृत्व पर दबाव
केंद्रीय नेतृत्व के लिए यह चुनौतीपूर्ण स्थिति है। अमित शाह और अन्य शीर्ष नेताओं को पार्टी के आंतरिक संघर्षों को सुलझाने के लिए कड़ी मेहनत करनी पड़ रही है। राव इंद्रजीत और खट्टर के बीच मतभेदों को दूर करने के प्रयास जारी हैं, लेकिन अभी तक इसका समाधान नहीं हो पाया है। अगर जल्द ही इस विवाद को नहीं सुलझाया गया, तो भाजपा को आगामी विधानसभा चुनाव में बड़ा नुकसान हो सकता है।
निष्कर्ष
दक्षिणी हरियाणा में मनोहर लाल खट्टर और राव इंद्रजीत सिंह के बीच चल रही राजनीतिक लड़ाई ने भाजपा को मुश्किलों में डाल दिया है। टिकट वितरण को लेकर आंतरिक खींचतान और कार्यकर्ताओं की नाराजगी पार्टी के लिए बड़ा संकट पैदा कर सकती है। आगामी विधानसभा चुनाव में भाजपा को इन चुनौतियों का सामना करना होगा, और अगर समय रहते समाधान नहीं निकला, तो पार्टी के लिए यह लड़ाई महंगी साबित हो सकती है।