चंडीगढ़, 11 मार्च
हरियाणा व पंजाब के कर्मचारियों की चंडीगढ़ में प्रतिनियुक्ति मामले में यूटी प्रशासन द्वारा की जा रही एकतरफा कार्रवाई से दोनों राज्य – पंजाब व हरियाणा नाराज़ तो हैं ही, साथ ही चंडीगढ़ प्रशासन की भी मुश्किलें इससे कम होने की बजाय बढ़ेंगी ही. वर्तमान में चंडीगढ़ के स्कूलों में पंजाब व हरियाणा के जो शिक्षक कार्यरत हैं, उनके पास न केवल लम्बा अनुभव है बल्कि वे अब पूरी तरह से ट्रेंड भी हो चुके हैं.
चंडीगढ़ के स्कूलों में सीबीएसई की पढ़ाई है. यूटी का अपना कोई बोर्ड नहीं है. वहीं हरियाणा व पंजाब से आने वाले शिक्षक उनके अपने यानी पंजाब व हरियाणा शिक्षा बोर्ड के आदी होते हैं. इन शिक्षकों ने चंडीगढ़ में प्रतिनियुक्ति पर आने के बाद न केवल सीबीएसई पैटर्न में खुद को ढाला बल्कि उन्होंने विद्यार्थियों को भी सीबीएसई पाठ्यक्रम पढ़ाना शुरू किया. अब वे इस काम में पूरी तरह से दक्ष हो चुके हैं.
चंडीगढ़ प्रशासन चाहता है कि पंजाब व हरियाणा से प्रतिनियुक्ति पर आने वाले शिक्षकों का टेन्योर (समय सीमा) तय किया जाए. साथ ही, वर्तमान में यहां प्रतिनियुक्ति पर कार्यरत सभी शिक्षकों को वापस उनके राज्यों में भेजने की प्लानिंग है. हालांकि चंडीगढ़ प्रशासन अपने इन मंसूबों में कामयाब हो पाएगा, इसके कम की आसार नज़र आ रहे हैं. दोनों राज्यों की विधानसभा का बजट सत्र भी चल रहा है. ऐसे में इनमें भी मुद्दा उठना तय है.
इतना ही नहीं, इन कर्मचारियों ने भी यूटी प्रशासन द्वारा शुरू की गई प्रक्रिया के खिलाफ लामबंदी तेज कर दी है. दोनों राज्यों के नेताओं व अधिकारियों से मुलाकात की जा रही है. चंडीगढ़ में प्रतिनियुक्ति पर कर्मचारी इसी शर्त के साथ आते हैं कि यहां आने के बाद उनकी ट्रांसफर नहीं होती. ऐसे में वे परिवार सहित यहां आकर बसते हैं. बच्चों के एडमिशन भी करवाते हैं. अगर टेन्योर फिक्स होता है तो दोनों ही राज्यों के कर्मचारी चंडीगढ़ आना बंद कर देंगे.
सरकारें कर्मचारियों को बाध्य नहीं कर सकतीं
सरकारें कर्मचारियों को डेपुटेशन के लिए बाध्य नहीं कर सकती. वर्तमान में भी कर्मचारियों की सहमति के बाद ही उन्हें यूटी ट्रांसफर किया जाता है. यूटी प्रशासन केंद्रीय गृह मंत्रालय के सर्विस रूल पंजाब व हरियाणा के कर्मचारियों पर लागू करना चाहता है. कानूनन ऐसा संभव नहीं हो सकता. ऐसा इसलिए क्योंकि यूटी में कार्यरत कर्मचारियों के वेतन-भत्ते पंजाब व हरियाणा के कर्मचारियों से अलग हैं. इन दोनों राज्यों के कर्मचारियों को प्रतिनियुक्ति पर आने के बाद किसी तरह का अलग से भत्ता भी नहीं दिया जाता.