- सीएम के पूर्व ओएसडी नीरज दफ्तुवार के परिवार की कंपनी को 45 करोड़ की जमीन कोड़ियों के भाव कैसे हस्तांतरित हुई?
- 45 करोड़ रुपये की नौ एकड़ जमीन मात्र 75 लाख रुपये में मिली, क्या बाकी पेमेंट भ्रष्टाचार के पैसे से हुई?
- 45 करोड़ की रिश्वत किस काम के बदले में मिली ?
- पूर्व ओएसडी ने पत्नी और बेटे के साथ मिलकर, सीएमओ में रहते हुए किया घोटाला
दिल्ली: प्रदेश के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के ऑफिस में प्रिंसिपल ओएसडी नीरज दफ्तुआर का नाम करोड़ों के भ्रष्टाचार में सामने आया है. उन्होंने सीएमओ में प्रिंसिपल ओएसडी के पद पर रहते हुए करोड़ों की जमीन अपने परिवार के करा दी। रातों रात एएनए रियल लोजिस्टिकस एलएलपी कंपनी खड़ी कर दी गई. 12 दिनों में इस कंपनी को 9 एकड़ जमीन का सीएलयू जारी कर दिया गया। और सीएलयू जारी होने से ठीक दो दिन पहले करोड़ों की ये कंपनी नीरज दफ्तुअर की पत्नी अनुपम दफ्तुआर और बेटे आदित्य दफ्तुआर के नाम महज 75 लाख रुपए में कर दी गई। यह आरोप आम आदमी के वरिष्ठ नेता अनुराग ढांडा ने शुक्रवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर लगाए. उन्होंने कहा कि ये सब मुख्यमंत्री खट्टर की नाक के नीचे कैसे हुआ.? उन्होंने कहा कि लोग समझ चुके हैं कि खट्टर सरकार भ्रष्टाचार में लिप्त सरकार है. इस मामले की सीबीआई और ईडी से जांच करने की मांग की.
उन्होंने कहा कि नीरज दफ्तुआर साल 2016 में हरियाणा में भाजपा सरकार के दौरान मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के प्रिंसिपल ओएसडी के तौर पर नियुक्त हुए और अक्टूबर 2022 तक इस पद पर रहे। उनके कार्यकाल के दौरान जारी हुए सभी सीएलयू की जांच होनी चाहिए. उनकी पत्नी अनुपम दफ्तुआर और बेटे आदित्य दफ्तुआर को नौ एकड़ जमीन का विशाल टुकड़ा और एक कंपनी कौड़ियों के भाव कैसे सौंप दी गई. मामले को जहां सीधे तौर पर दफ्तुआर परिवार को फायदे पहुंचाने के लिहाज़ से पहले एक कंपनी बनायी गई, उसके जरिए ज़मीन खरीदी और फिर इसे दफ्तुआर परिवार के हवाले कर दिया गया.
उन्होंने कहा कि 24 फरवरी 2022 को एएनए रियल लोजिस्टिकस एलएलपी कंपनी बनाई है। जिसके डायरेक्टर सिद्धार्थ लांबा और आशीष चांदना बने। यह कंपनी 24 मार्च 2022 को झज्जर जिले के बादली तहसील के खालिकपुर गांव में 9 एकड़ जमीन 2 करोड़ 73 लाख रुपये में एक प्राइवेट कंपनी द्वारा संचालित मॉडल इकनॉमिक टाऊनशिप लिमिटेड (एमईटी) से खरीदती है, जिसकी बाजार में कीमत लगभग 45 करोड़ रुपये है. इस जमीन के लिए 15 अप्रैल 2022 को टाउन एंड कंट्री प्लानिंग विभाग में सीएलयू के लिए आवेदन किया और मात्र 12 कामकाजी दिनों में वेयरहाउस का लैंडयूज़ मिल गया है. जिस काम में कई महीनों तक लगते हैं, यहां ये काम का मात्र 12 दिनों में हो जाता है। इससे इस मामले में बहुत बड़े भ्रष्टाचार और सीएम ऑफिस की मिली भगत के संकेत मिलते हैं. उन्होंने सीएम खट्टर से जवाब मांगते हुए कहा कि मुख्यमंत्री इस मामले में जवाब दें.
उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि सीएलयू मिलने से ठीक दो दिन पहले 2 मई को कंपनी दफ्तुआर के परिवार को बेच दी गई, 4 मई, 2022 को टाउन एंड कंट्री प्लानिंग विभाग ने लैंड यूज़ परिवर्तित करने की अनुमति दी. लेकिन इसके दो दिन पहले यानी 2 मई को सिद्धार्थ लाम्बा और आशीष चांदना ने एक कानूनी करार के तहत एएनए रियल लॉजिस्टिक्स कंपनी और इसकी सारी संपत्तियां अनुपम दफ्तुआर और आदित्य दफ्तुआर के नाम कर दीं। ये दोनों लोग हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के तत्कालीन प्रिंसिपल ओएसडी नीरज दफ्तुआर की पत्नी और बेटे हैं.
उन्होंने कहा कि इस पूरे लेन-देन की वैधता पर सवालिया निशान खड़ा करता है। जो ज़मीन एएनए रियल लॉजिस्टिक्स ने करीब दो महीने पहले 2 करोड़ 73 लाख रुपए में खरीदी थी उसे सिर्फ 75 लाख रुपए में कंपनी सहित अनुपम और आदित्य दफ्तुआर को सौंप दी गई.
उन्होंने आरोप लगाया कि पहले दिन से एएनए रियल लॉजिस्टिक्स कंपनी नीरज दफ्तुआर की ही थी। सीएम खट्टर के पूर्व ओएसडी ने अपने भ्रष्टाचार से कमाए हुए काले धन को खपाने के लिए यह कंपनी बनाई थी। एएनए का अर्थ है अनुपम, नीरज और आदित्य.
उन्होंने आरोप लगाया कि इस कंपनी के नाम पर 45 करोड़ रुपये की जमीन है। जिसकी रजिस्ट्री 2.73 करोड़ में हुई थी और जिसका सीएलयू होने वाला है। इससे इस जमीन की कीमत कई गुना बढ़कर लगभग 45 करोड़ हो गई है। वहीं इस कंपनी को मात्र 75 लाख रुपये में खट्टर के प्रिंसिपल ओएसडी को बेच दिया. यह घोटाला खुलेआम खट्टर सरकार में महत्वपूर्ण पद पर रहते हुए किया गया. उन्होंने कहा कि आम आदमी पार्टी इस घोटाले की सीबीआई और ईडी से जांच करने की मांग करती है. उन्होंने कहा कि अगर सीएम खट्टर ने इस मामले की जांच के आदेश नहीं दिए तो जनसंवाद कार्यक्रम में भी आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ता इस बारे में सवाल पूछेंगे।इस मौके पर आप नेता योगेश्वर शर्मा, रणजीत उप्पल और करणवीर लॉट भी मौजूद रहे.