
चंडीगढ़, 15 अक्तूबर-हरियाणा के वित्त विभाग ने सरकारी अधिकारी-कर्मचारियों की विदेश यात्राओं के सम्बन्ध में नए दिशा-निर्देश जारी किए हैं। ये निर्देश तत्काल प्रभाव से लागू होंगे और पूर्व में सभी आदेशों को निरस्त समझा जाएगा।मुख्य सचिव अनुराग रस्तोगी, जिनके पास वित्त विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव का दायित्व भी है, द्वारा जारी ये दिशा-निर्देश ग्रुप ‘ए’, ‘बी’, ‘सी’ एवं ‘डी’ के सरकारी कर्मचारियों के साथ ही हरियाणा से जुड़े अखिल भारतीय सेवाओं के अधिकारियों पर भी लागू होंगे।
वित्त विभाग (एफ.आर. शाखा) इस संबंध में संबंधित प्रशासनिक विभाग की सिफारिश पर अनुमोदन प्रदान करेगा। मुख्यमंत्री, मंत्रियों और विधायकों की विदेश यात्राओं के संबंध में मुख्य सचिव कार्यालय द्वारा दिशा-निर्देश पहले ही जारी किए जा चुके हैं। हालांकि अब वित्त विभाग से वित्तीय स्वीकृति लेना अनिवार्य होगा।
सरकारी खर्च पर की जाने वाली आधिकारिक विदेश यात्राओं के लिए प्रत्येक वित्तीय वर्ष में अधिकतम एक आधिकारिक और एक निजी यात्रा की अनुमति दी जाएगी। दोनों यात्राओं की कुल अवधि तीन सप्ताह से अधिक नहीं होगी। प्रस्तावों को संबंधित अधिकारी द्वारा हस्ताक्षरित ‘चेक-लिस्ट’ के साथ मुख्यमंत्री की स्वीकृति प्राप्त कर वित्त विभाग को भेजना अनिवार्य होगा। साथ ही संबंधित विभाग को यह सुनिश्चित करना होगा कि विदेश यात्रा भत्ता हेतु बजट का पर्याप्त प्रावधान उपलब्ध है।
व्यक्तिगत कारणों से स्वयं के व्यय पर विदेश यात्रा के लिए प्रत्येक वित्तीय वर्ष में केवल एक निजी यात्रा की अनुमति दी जाएगी। इस स्थिति में उस देश का नाम अनुमोदन पत्र में स्पष्ट रूप से अंकित करना होगा, जहां की यात्रा की जानी है। यदि किसी अधिकारी-कर्मचारी के विरुद्ध अपराध से जुड़ा कोई मामला लंबित है या मुख्य दंड हेतु आरोपपत्र जारी किया गया है, तो ऐसे मामलों में अनुमति नहीं दी जाएगी। इसके अतिरिक्त, यदि निजी यात्रा का खर्च विभाग से जुड़ी किसी निजी संस्था द्वारा वहन किया जा रहा है तो अनुमति नहीं दी जाएगी।
किसी भी परिस्थिति में विदेश यात्रा के लिए एक्स-पोस्ट फैक्टो अप्रूवल प्रदान नहीं की जाएगी। बिना पूर्व अनुमति के विदेश जाने वाले अधिकारियों के विरुद्ध कठोर अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी। इसके अलावा, विदेश में रहने के दौरान अधिकारी-कर्मचारी को बिना पूर्व स्वीकृति किसी भी प्रकार का कार्य (नौकरी) करने या निर्धारित अवधि से अधिक रुकने की अनुमति नहीं होगी।
जहाँ कार्यभार सौंपने या ग्रहण करने की व्यवस्था लागू है, वहाँ अधिकारी-कर्मचारी को विदेश जाने से पूर्व अपना कार्यभार अपने वैकल्पिक अधिकारी-कर्मचारी को सौंपना होगा। किसी भी उल्लंघन की स्थिति में संबंधित विभाग द्वारा हरियाणा सिविल सेवा (दंड एवं अपील) नियम, 2016 के अंतर्गत सख्त अनुशासनात्मक कार्रवाई की जा सकती है।