मरीजों को इलाज के लिए सरकारी अस्पतालों में उचित सुविधाएं नहीं मिल रही हैं।
चंडीगढ़: हरियाणा प्रदेश में विधानसभा चुनाव का परिणाम आ चुका है और सत्ताधारी पार्टी बीजेपी तीसरी बार जीत हासिल कर चुकी है। लेकिन इस जीत के बावजूद, प्रदेश में डेंगू और मलेरिया के मरीजों को इलाज के लिए सरकारी अस्पतालों में उचित सुविधाएं नहीं मिल रही हैं।
अस्पतालों में बेड की कमी
गुरुग्राम और फरीदाबाद के सरकारी अस्पतालों की स्थिति बेहद गंभीर है। मरीजों के लिए न केवल दवाइयां उपलब्ध नहीं हैं, बल्कि बेड की व्यवस्था भी चरमरा गई है। एक बेड पर चार-चार मरीजों का इलाज किया जा रहा है, जिससे गंभीर मरीजों को आवश्यक उपचार मिलना मुश्किल हो रहा है।
प्राइवेट अस्पतालों का बढ़ता दबाव
इस परिस्थिति के कारण मरीज प्राइवेट अस्पतालों का रुख करने के लिए मजबूर हैं। प्राइवेट अस्पताल संचालक उन मरीजों को प्राथमिकता दे रहे हैं जिनके पास स्वास्थ्य बीमा है। वहीं, जिनके पास बीमा नहीं है या जो सरकारी कर्मचारी हैं, उन्हें उचित इलाज नहीं मिल रहा है।
ग्रामीण क्षेत्रों की स्थिति
ग्रामीण इलाकों में भी बुखार के मरीजों की संख्या में बढ़ोतरी हो रही है। यहाँ छोटी-छोटी डिस्पेंसरी और झोलाछाप डॉक्टर मरीजों का इलाज कर रहे हैं, लेकिन उनकी सेवाएं बेहद सीमित हैं। गंभीर मामलों में मरीजों को दिल्ली रेफर किया जा रहा है, लेकिन तब तक मरीजों से मोटी रकम वसूली जा रही है।
दिल्ली एनसीआर के मरीजों ऑन पर इस समय बीमारी हावी हो रही है।
सरकार की अनदेखी
सरकारी अधिकारियों का कहना है कि वे स्थिति को नियंत्रित करने के लिए हर संभव प्रयास कर रहे हैं, लेकिन वास्तविकता यह है कि अस्पतालों में न तो पर्याप्त बेड हैं और न ही दवाइयाँ।
लोग एक संकट का सामना कर रहे हैं।
हरियाणा में स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी गंभीर चिंता का विषय बन चुकी है। मरीजों की बढ़ती संख्या और अस्पतालों में संसाधनों की कमी के चलते लोग एक संकट का सामना कर रहे हैं। यदि सरकार और प्रशासन ने इस मुद्दे पर ध्यान नहीं दिया, तो स्थिति और भी गंभीर हो सकती है।