गुरुग्राम 10 अक्टूबर हाथी घोड़ा पालकी जय कन्हैया लाल ।की नंद घर आनंद भयो जय कन्हैया लाल की। जैसे उद्घोषों से गुरुग्राम की यह धरा मानो वृंदावन बन गई। अवसर था स्थानीय राजीव नगर स्थितअखंड परमधाम गुफा वाले शिव मंदिर ।ज्ञात हो कि बीते 4 दिनों से यहाँ श्री मद भागवत पुराण का आयोजन चल रहा है
व्यास पीठ पर विराजित महामंडलेश्वर साध्वी आत्मचेतना गिरि ने भगवान नाम की महिमा के विषय में बताते हुए कहा कि जिस प्रकार अग्नि सूखी घास को जलाकर राख बना देती है इस प्रकार श्री भगवान का पवित्र नाम चाहे जान में या अनजाने में कैसे भी लिया जाए मनुष्य के पूरे पापों को नष्ट कर देता है ।उन्होंने कहा कि जिस प्रकार डॉक्टर हमें कड़वी या मीठी दवाई देते हैं और उसके खाने से हम ठीक हो जाते हैं इसी प्रकार हमें भगवान में विश्वास कर उसके नाम का उच्चारण करना चाहिए । इसका फल हमें अवश्य मिलता है,
एक छोटे बच्चे को उसकी माता साबुन से मलमल के नहलाती है
उन्होंने कहा कि जिस प्रकार एक छोटे बच्चे को उसकी माता साबुन से मलमल के नहलाती है जिससे बच्चा रोता है, परंतु उस माता को, उसके रोने की, कुछ भी परवाह नही है, जब तक उसके शरीर पर मैल दिखता है, तब तक उसी तरह से नहलाना जारी रखती है, और जब मैल निकल जाता है, तब ही मलना, रगड़ना बंद करती है।वह उसका मैल निकालने के लिए ही उसे मलती, रगड़ती है, कुछ द्वेषभाव से नहीं । परंतु बच्चा इस बात को समझता नहीं इसलिए इससे रोता है।इसी तरह हमको दु:ख देने से परमेश्वर को कोई लाभ नहीं है, परंतु हमारे पूर्वजन्मों के कर्म काटने के लिए, हमको पापों से बचाने के लिए और जगत का मिथ्यापन बताने के लिए वह हमको दु:ख देता है। इसलिए दु:ख से निराश न होकर, हमें प्रभु से मिलने के बारे मे विचार करना चाहिए और भजन सुमिरन का ध्यान करना चाहिए..
प्राणी को नित्य सुख और आनंद की प्राप्ति के लिए जीवन से कामनाओं का अंत करना चाहिए
महामंडलेश्वर साध्वी आत्म चेतना ने कहा कि प्राणी को नित्य सुख और आनंद की प्राप्ति के लिए जीवन से कामनाओं का अंत करना चाहिए क्योंकि कामना में जीवन भूख प्रधान बनकर, जीवन में दुख अभाव और अशांति उत्पन्न करता है । कामनाओं से छुटकारा तभी मिलेगा जब हमारी सांसारिक वस्तुओं से आसक्ति समाप्त हो जाए और यह दो ही स्थितियों में संभव है या तो मृत्यु से या त्याग से। मृत्यु से वस्तु नष्ट हो जाती है किंतु संबंध बना रहता है और त्याग से वस्तु बनी रहती है किंतु उससे संबंध नष्ट हो जाते हैं। इसलिए जीवन में त्याग अति आवश्यक है । क्योंकि त्याग किए बिना प्रभु से प्रेम नहीं हो सकता। हृदय में एक ही रह सकता है या तो प्रेम या सांसारिक कामनाएं।
पृथ्वी पर पाप बढ़ते हैं तो प्रभु उन पापियों का नाश करने के लिए किसी न किसी रूप में अवतरित होते हैं
उन्होंने कहा कि जब भी पृथ्वी पर पाप बढ़ते हैं तो प्रभु उन पापियों का नाश करने के लिए किसी न किसी रूप में अवतरित होते हैं जैसे कि पृथ्वी पर जब जरासंध जैसे राक्षसों का आतंक बढ़ गया तो भगवान श्री कृष्ण ने पृथ्वी पर जन्म लिया । कथा के चौथे दिन भगवान श्री कृष्ण के जन्मोत्सव को बहुत ही धूमधाम से मनाया गया। बालकृष्ण की सुंदर झांकी निकाली गई इस अवसर पर खूब बधाइयां गाई गई और बधाई बांटी गई।