Sunday, September 22, 2024

आर्थिक अपराध, चुनौतीपूर्ण अनुसन्धान, सक्षम जांच अधिकारी बनें : एडीजीपी क्राइम

  • सीनियर आईपीएस अधिकारी शत्रुजीत कपूर की किताब “आर्थिक अपराधों का अन्वेषण” पर हुआ परीक्षा का आयोजन
  • प्रदेश भर के 86 जांच अधिकारी हुए पंचकूला में आयोजित इस परीक्षा में शामिल
  • स्टेट क्राइम ब्रांच ने आयोजित की परीक्षा, एएसपी अमित दहिया ने तैयार किया था वस्तुनिष्ठ प्रश्नपत्र
  • चंडीगढ़ 22 जुलाई
  • सरकार आर्थिक अपराधियों पर सख्त हो गई है। उन पर नकेल कसने के लिए जांच अधिकारीयों को तैयार किया जा रहा है। आर्थिक अपराधियों को कानून की गिरफ्त में लाने और अपराधियों को सज़ा दिलवाने के लिए प्रदेश पुलिस लगातार प्रयास कर रही है। इसी प्रयासों में आगे बढ़ते हुए प्रदेश की मुख्य जांच एजेंसी स्टेट क्राइम ब्रांच ने जांच अधिकारीयों के लिए “आर्थिक अपराधों” पर पंचकूला में परीक्षा का आयोजन किया। पुलिस प्रवक्ता ने जानकारी देते हुए बताया कि इस परीक्षा का आयोजन “आर्थिक अपराधों के विषय” पर हुआ था। यह प्रदेश पुलिस द्वारा अपनी तरह का पहला अनूठा प्रयास था जहाँ शुक्रवार को प्रदेश के पंचकूला जिले की इमरजेंसी रिस्पांस सिस्टम 112 बिल्डिंग में प्रदेश भर में फैली अपनी 22 यूनिट्स में तैनात जांच अधिकारीयों के लिए इस परीक्षा का आयोजन किया। पुलिस प्रवक्ता ने जानकारी देते हुए बताया कि परीक्षा की तैयारी के लिए स्टेट क्राइम ब्रांच द्वारा सभी जिले की यूनिट्स में पहले ही सूचित कर दिया था। आगे जानकारी देते हुए बताया कि परीक्षा का आधार सीनियर आईपीएस अधिकारी शत्रुजीत कपूर, की किताब “आर्थिक अपराधों का अन्वेषण” रही। विदित है कि सीनियर आईपीएस अधिकारी शत्रुजीत कपूर वर्तमान में भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो के महानिदेशक है।
  • आर्थिक अपराधों के अनुसन्धान का तरीका बदलें, जांच अधिकारियों की रिपोर्ट पर होता है फैसला : एडीजीपी क्राइम
  • अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक, स्टेट क्राइम ब्रांच, ओ पी सिंह, आईपीएस ने परीक्षा देने आये सभी जांच अधिकारीयों को सम्बोधित करते हुए कहा कि हर अपराध की अपनी एक कार्य प्रणाली होती है। उसी तरह से आर्थिक अपराधों की प्रणाली भी अलग है। इस परीक्षा को लेने का मकसद यही है कि जांच अधिकारी अपनी नींव को मज़बूत ज़रूर करें। पढ़ना, बोलना, समझना और सीखना ही जांच अधिकारीयों का गुण होना चाहिए। एक जांच अधिकारी की लिखी गई रिपोर्ट ही केस की दशा और दिशा तय करते है। किसी भी केस में की गई तफ्तीश की उस केस को सफलता निर्धारित करती है। एडीजीपी क्राइम ने कहा की स्टेट क्राइम ब्रांच प्रदेश की मुख्य जांच एजेंसी है और यहाँ पोस्टेड जांच अधिकारीयों को इस बेहतरीन पुस्तक से सीखना और लाभ लेना चाहिए। इस प्रकार की परीक्षा लेने का अपने आप में हरियाणा पुलिस का पहला प्रयास है और इसे आगे भी जारी रखेंगे। हम चाहते है कि जब भी कोई जांच अधिकारी स्टेट क्राइम ब्रांच से वापस जाए, तो वह एक बेहतर अनुसन्धान अधिकारी बनकर जाए।
  • स्टेट क्राइम ब्रांच की सभी यूनिट्स में भेजी गई है यह पुस्तक, संजीदा विषयों पर दी गई है जानकारी
  • पुलिस प्रवक्ता ने जानकारी देते हुए बताया कि जांच अधिकारीयों के लिए लिखी गई इस बुक में आर्थिक अपराधों की जांच के मूल सिद्धांतों का वर्णन किया गया है। अक्सर देखने में आता है कि आर्थिक अपराधियों पर नकेल कसने में अभी काफी समय लग जाता है क्योंकि कोई एक एजेंसी अपनी जांच पूरी कर जब तक आरोपपत्र दाखिल नहीं कर देती तब तक बहुत सारी चीजें सामने नहीं आ पाती हैं। कई बार ऐसा भी होता है कि जब तक कोई शिकायतकर्ता सबूतों के साथ कोई शिकायत नहीं करता तब तक एजेंसियां सक्रिय नहीं होतीं। इस किताब में जांच अधिकारीयों के लिए कई क़ानूनी प्रावधानों का ज़िक्र किया गया है। इस किताब में अनुसन्धान में की जाने वाली आम गलतियों का वर्णन है। एफआईआर का पंजीकरण, जांच कैसे शुरु करें, दस्तावेज़ कैसे इकट्ठे करें, दस्तावेज़ों की पड़ताल व विशेषज्ञ की राय, जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों के बारे में बताया गया है। केस के लिए मंजूरी कैसे लें, चालान कैसे पेश करें, व आरोप पत्र कैसे दाखिल करें, जांच के दौरान क्या सावधानिया रखें, आदि महत्वपूर्ण बातें भी इस पुस्तक में बताई गई है। इस किताब में जांच अधिकारीयों के लिए विदेश में अन्वेषण संबंधी संजीदा मुद्दों को शामिल किया गया है। जैसे इंटरपोल नोटिस, निगरानी परिपत्र, प्रत्यर्पण और निर्वासन व अनुरोध पत्र जैसे विषयों पर चर्चा की गई है। आर्थिक अपराध ना कि सिर्फ व्यक्ति विशेष को नुक्सान करता है बल्कि राज्य को आर्थिक भी हानि पहुंचाता है। इस पुस्तक में सम्पति की कुर्की, अभिग्रहण ज्ञापन, इंटरपोल-रेड कार्नर जैसे महत्वपूर्ण नोटिस का प्रारूप, निगरानी परिपत्र के प्रारूप का ज़िक्र किया गया है। विदित है कि स्टेट क्राइम ब्रांच वर्तमान में इंटरपोल, रेड कार्नर नोटिस जैसे संजीदा विषयों में कार्रवाई कर रही है। इसके अतिरिक्त सीबीआई, इंटरपोल, गृह मंत्रालय से समन्वय की ज़िम्मेदारी भी स्टेट क्राइम ब्रांच पर ही है।
  • रीक्षा पत्र के बनाये थे 4 सेट, 50 अंकों की इस अनूठी परीक्षा में बैठे 86 जांच अधिकारी
  • पुलिस प्रवक्ता ने जानकारी देते हुए बताया की सीनियर आईपीएस द्वारा लिखित “आर्थिक अपराधों का अन्वेषण” पुस्तक की एक – एक प्रति स्टेट क्राइम ब्रांच की सभी यूनिट्स में वितरित की गई थी और निर्देश दिए गए थे कि जल्द ही इस किताब में दी गई जानकारी के तर्ज पर स्टेट क्राइम ब्रांच द्वारा परीक्षा का आयोजन किया जाएगा। एएसपी अमित दहिया ने प्रश्नपत्र को तैयार किया था, जो की 50 अंकों का था और ए, बी, सी, डी कोड के साथ 4 सेट में विभाजित था। एक घंटे चली इस परीक्षा में प्रदेशभर के स्टेट क्राइम ब्रांच के 86 जांच अधिकारी शामिल हुए। उक्त परीक्षा में एएसआई सुशील कुमार ने सबसे अधिक 48 अंक प्राप्त कर प्रथम स्थान प्राप्त किया। वहीँ 47 अंक पाकर संयुक्त रूप से दूसरे स्थान पर महिला एएसआई रूचि, एएसआई नमना व एएसआई शीतल रही। एएसआई राजेश कुमार, एएसआई कुलदीप 46 अंक पाकर संयुक्त रूप से तीसरे स्थान पर रहे। स्टेट क्राइम ब्रांच चीफ एडीजीपी ओ पी सिंह, आईपीएस ने पहले तीन स्थान पर आने वाले जांच अधिकारीयों को प्रथम श्रेणी प्रमाण पत्र व नकद इनाम देने की घोषणा की है। वहीँ 30 जांच अधिकारीयों ने इस परीक्षा में 40 से अधिक अंक प्राप्त किए। इसके अतिरिक्त 44 जांच अधिकारीयों ने 30 से अधिक अंक प्राप्त किए है। पुलिस प्रवक्ता ने बताया परीक्षा को इस आधार पर तैयार किया गया जहाँ विशेष प्रक्रियाओं की जानकारी जैसे अभियोजन हेतु मंज़ूरी, आरोप पत्र तैयार करना, इंटरपोल नोटिस, निगरानी परिपत्र, प्रत्यर्पण व निर्वासन आदि की जानकारी परखी गई है। प्रश्नपत्र तैयार करते हुए इस बात का विशेष ध्यान रखा गया कि परिस्थितिजन्य प्रश्न बनाये जाएँ। हर वस्तुनिष्ठ प्रश्न में एक स्थिति बताई गई थी जहाँ चार ऑप्शन दिए गए थे, जिनमें से एक ऑप्शन दी गई स्थिति के अनुसार जांच अधिकारी द्वारा लिया जाने वाला सही निर्णय था। परीक्षा में बैठे जांच अधिकारी को स्थितिनुसार सही निर्णय को चुनना था। स्टेट क्राइम ब्रांच प्रमुख एडीजीपी क्राइम ने परीक्षा के सफल संचालन के लिए अधिकारीयों और परीक्षार्थियों की तारीफ़ की।

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