दिल्ली: जंतर मंतर पर चल रहे पहलवानो के धरने के बाद उनका धरना जिस तरह से खत्म किया गया और सभी खिलाड़ियों को डिटेन किया उससे पुरे देश में हलचल मच चुकी है। और अब विनेश फोगट के ट्विटर से बड़ी जानकारी सामने आ रही है की आज शाम 6 बजे सभी खिलाडी अपने मैडल हरिद्वार के गंगा में बहाने के लिए निकल चुके है। साथ ही इनके ट्वीट से उत्तरप्रदेश पुलिस और उत्तराखंड पुलिस सक्रीय हो चुकी है। तो वही चारो के द्वारा दी गयी धमकी से दिल्ली पुलिस भी एक बार फिर हरकत में आ चुकी है। दिल्ली से जैसे ही उत्तरप्रदेश में चारो पहलवानो ने प्रवेश किया है उसी समय उत्तरपरेश पुलिस इन पहलवानो का पीछा कर रही है। वही उत्तराखंड पुलिस हरिद्वार से पहले उत्तरप्रदेश सिमा पर इन पहलवानो का इंतजार कर रही। साथ ही आपको बता दे की सूत्रों के अनुसार बताया जा रहा है की किसी भी सूरत में पहलवानो को उनके मैडल हरिद्वार गंगा जी में नहीं बहाने दिया जायेगा। विस्वश्नीय सूत्रों से यह भी जानकारी मिल रही है की किसान नेता राकेश टिकट के इशारे पर यह चारो रेलवे उच्च विभाग के अधिकारी विनेश फोगट , साक्षी मालिक ,सत्यव्रत कैड़यां, बजरंग पुनिया हरिद्वार गंगा जी में मैडल बहाने के नाम से TRP बटोरने का प्रयाश कर रहे है। क्या रेलवे विभाग अपने उच्च अधिकरियो पर केंद्र सरकार दी चेतावनी पर क्या कार्यवाही करेगा। इसपर देश वाशियो की नजरे टिकी हई है.
क्या लिखा ट्वीट में विनेश ने ?
विनेश फोगट ने ट्वीट कर लिखा की ’28 मई को जो हुआ वह आप सबने देखा। पुलिस ने हम लोगों के साथ क्या व्यवहार किया। हमें कितनी बर्बरता से गिरफ़्तार किया। हम शांतिपूर्ण आंदोलन कर रहे थे। हमारे आंदोलन की जगह को भी पुलिस ने तहस नहस कर हमसे छीन लिया और अगले दिन गंभीर मामलों में हमारे ऊपर ही एफआईआर दर्ज कर दी गई। क्या महिला पहलवानों ने अपने साथ हुए यौन उत्पीड़न के लिए न्याय मांगकर कोई अपराध कर दिया है। पुलिस और तंत्र हमारे साथ अपराधियों जैसा व्यवहार कर रही है, जबकि उत्पीड़क खुली सभाओं में हमारे ऊपर फबतियां कस रहे हैं। टीवी पर महिला पहलवानों को असहज कर देनी वाली अपनी घटनाओं को कबूल करके उनको ठहाकों में तब्दील कर दे रहा है। यहां तक कि पाक्सो एक्ट को बदलवाने की बात सरेआम कह रहा है। महिला पहलवान अंदर से ऐसा महसूस कर रही हैं कि इस देश में हमारा कुछ बचा नहीं है। हमें वे पल याद आ रहे हैं जब हमने ओलंपिक, वर्ल्ड चैंपियनशिप में मेडल जीते थे।
अब लग रहा है कि क्यों जीते थे। क्या इसलिए जीते थे कि तंत्र हमारे साथ ऐसा घटिया व्यवहार करे। हमें घसीटे और फिर हमें ही अपराधी बना दे। कल पूरा दिन हमारी कई महिला पहलवान खेतों में छिपती फिरी हैं। तंत्र को पकड़ना उत्पीड़क को चाहिए था, लेकिन वह पीड़ित महिलाओं को उनका धरना खत्म करवाने, उन्हें तोड़ने और डराने में लगा हुआ है। अब लग रहा है कि हमारे गले में सजे इन मेडलों का कोई मतलब नहीं रह गया है। इनको लौटाने की सोचने भर से हमें मौत लग रही थी, लेकिन अपने आत्म सम्मान के साथ समझौता करके भी क्या जीना.।
मां गंगा से पवित्र कुछ नहीं, इसलिए उन्हीं की गोद में प्रवाहित करेंगे मेडल
लिखा कि मन में यह सवाल आया कि किसे लौटाएं ये मेडल। हमारी राष्ट्रपति को, जो खुद एक महिला हैं। मन ने ना कहा, क्योंकि वह हमसे सिर्फ दो किलोमीटर दूर बैठीं सिर्फ देखती रहीं, लेकिन कुछ भी बोली नहीं। हमारे प्रधानमंत्री को, जो हमें अपने घर की बेटियां बताते थे। मन नहीं माना, क्योंकि उन्होंने एक बार भी अपने घर की बेटियों की सुध नहीं ली, बल्कि नई संसद के उद्घाटन में हमारे उत्पीड़क को बुलाया। वह तेज सफेदी वाले चमकदार कपड़ों में फोटो खिंचवा रहा था. उसकी सफेदी हमें चुभ रही थी, मानो कह रही हो कि मैं ही तंत्र हूं।
इस चमकदार तंत्र में हमारी जगह कहां हैं। भारत में बेटियों की जगह कहां हैं। क्या हम केवल नारे बनकर या सत्ता में आने भर का एजेंडा बनकर रह गई हैं। ये मेडल अब हमें नहीं चाहिए क्योंकि इन्हें पहनाकर हमें मुखौटा बनाकर केवल अपना प्रचार करता है यह तेज सफेदी वाला तंत्र और फिर हमारा शोषण करता है। हम उस शोषण के खिलाफ बोलें तो हमें जेल में डालने की तैयारी कर लेता है।
इन मेडलों को हम गंगा में बहाने जा रहे हैं, क्योंकि वह गंगा मा हैं। जितना पवित्र हम गंगा को मानते हैं उतनी ही पवित्रता से हमने मेहनत कर इन मेडलों को हासिल किया था। ये मेडल सारे देश के लिए ही पवित्र हैं और पवित्र मेडल को रखने की सही जगह पवित्र मां गंगा ही हो सकती है।