आज राहुल गांधी को एक रैली में सिर पर पानी डालते देखा तो प्रधान सेवक को यह कहते सुना भई इन्हें (भीड़ को) पानी पिलाइये। खबरिया चैनलों पर यह दृश्य किसी भी संवेदनशील व्यक्ति को झकझोर सकता है लेकिन एंकरों के लीपे पुते चहरों पर शिकन नहीं दिखी। केंद्र को आपदा आपातकाल लगाना चाहिए। चुनाव आयोग को भी सोचना चाहिए कि 50 डिग्री पर कोई कैसे मतदान के लिए निकलेगा? बाद में जानता को दोष दिया जाता है कि लोकतंत्र की रक्षा के लिए आगे नहीं आए। क्यों आएं? जान है तो जहान है। चुनाव तो फिर पाँच साल में आ जाएँगे। फिर वही प्रलोभन, वादे और शिकवे – शिकायतें होंगी। एक दूसरे को दुत्कारा जाएगा। अभी तो बस जीवन बचाने की सोचिए। बाक़ी फिर कभी।
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