गुरूग्राम, 16 नवंबर। पॉक्सो एक्ट में यह प्रावधान किया गया है कि जुल्म से पीडि़त बच्चे से बात करते समय पुलिस अधिकारी या कर्मचारी अपनी वर्दी में ना हो। पुलिस बच्चों के साथ थाने में बनाए गए बाल मित्र कक्ष में परिवार की तरह बातचीत करे। जिससे कि बच्चे में किसी प्रकार का भय उत्पन्न ना हो और वह अपनी बात को खुल कर कह सके। अपने साथ हुए अत्याचार का बच्चों के मन-मस्तिष्क पर काफी दुष्प्रभाव पड़ता है। इस मनोस्थिति से बाहर आने में उसे काउंसलिंग की जरूरत होती है।
बाल संरक्षण आयोग के सदस्य अनिल कुमार लाठर ने कहा कि दुष्कर्म से पीडि़त बालक का अस्पताल में मेडिकल करवाया जाना है तो डॉक्टर को जांच करने से पहले बच्चे को इसके विषय में बताना चाहिए। यह बालक लडक़ी है तो उसके साथ महिला पुलिस ऑफिसर होनी चाहिए। इसके अलावा पुलिस यह ध्यान रखे कि कभी भी पीडि़त बच्चे और आरोपी व्यक्ति दोनों को साथ ना रखा जाए और ना ही एक गाड़ी में बैठाया जाए। उन्होंने कहा कि सभी पुलिस थानों में चाइल्ड फ्रेंडली रूम बनाए जाने चाहिए। हरियाणा बाल संरक्षण आयोग के सदस्य ने कहा कि चौराहे या सडक़ पर किसी बच्चे को भीख ना दें। भीख मांगना एक मानवीय अपराध है और इसने बच्चों की तस्करी को बढ़ावा दिया है।
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