उत्तरप्रदेश,
इलाहाबाद: इलाहाबाद हाईकोर्ट द्वारा बलात्कार के एक मामले में पीड़िता के ‘मांगलिक’ होने की जांच कराने संबंधी आदेश पर सुप्रीम कोर्ट ने स्वत: संज्ञान लेते हुए इस पर रोक लगा दी है. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने रेप पीड़िता की कुंडली जांचने का आदेश दिया था, जिसपर शीर्ष अदालत ने रोक लगाते हुए कहा कि हाईकोर्ट इस मामले में केस की मेरिट पर सुनवाई करेगा.
दरअसल इलाहाबाद हाईकोर्ट में रेप केस के आरोपी ने जमानत के लिए अर्जी दाखिल की थी. इस पर हाई कोर्ट में सुनवाई के दौरान आरोपी ने दलील दी कि पीड़िता मांगलिक है, इसलिए वह उससे शादी नहीं कर सकता है. आरोपी की इस दलील को सुनने के बाद हाईकोर्ट ने लखनऊ विश्वविद्यालय के ज्योतिष विभाग को रेप पीड़िता की कुंडली की जांच करने का आदेश दे दिया.
इलाहाबाद हाईकोर्ट के जज जस्टिस बृजराज सिंह ने आदेश में कहा था कि ‘याचिकाकर्ता ने दावा किया है कि लड़की मांगलिक है, लिहाजा उसकी शादी गैर-मांगलिक आदमी के साथ नहीं हो सकती. ऐसे में यह जानने के लिए कि क्या वाकई लड़की मांगलिक है या नहीं, दोनों पक्षकार लखनऊ विश्वविद्यालय के ज्योतिष विभाग के अध्यक्ष प्रोफेसर के सामने अपनी-अपनी कुंडली पेश करें.’
इलाहाबाद हाईकोर्ट का यह आदेश खूब चर्चा में रहा और कई अखबारों ने अपने प्रमुखता से प्रकाशित किया. इन मीडिया रिपोर्ट्स को देखकर हुए सुप्रीम कोर्ट ने मामले पर स्वत: संज्ञान लिया और शनिवार को सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हाईकोर्ट इस मामले में केस की मेरिट पर सुनवाई करेगा.
पीड़िता का आरोप है कि गोविंद राय उर्फ मोनू नामक शख्स ने उससे शादी का वादा करके यौन संबंध बनाए और फिर जब पीड़िता ने शादी का दबाव बनाया तो उसकी कुंडली में मांगलिक दोष की दलील देते हुए शादी से इनकार कर दिया. पीड़िता की तरफ से इस बाबत लखनऊ के चिनहट थाने में 15 जून, 2022 को रेप का केस दर्ज कराया गया, जिसके बाद आरोपी गोविंद को जेल भेज दिया गया था.