Sunday, May 19, 2024

देखकर भी अनदेखा बना है नगर निगम अलवर, बारिश में बन सकती है महामारी!

अलवर, 05 मई 2024। नगर निगम अलवर की अनदेखी ओर आलस्यता तथा समय पर काम नहीं किए जाने वाली स्थिति का ही परिणाम है जहां पूरा अलवर शहर गन्दगी के ढेर जैसा बन चला है। आज कहीं भी वह स्थिति दिखाई नहीं देती कि जिसे देखकर यह कहा जा सके कि यहां शहर साफ दिखाई दे रहा है। शहर में कई क्षेत्र तो ऐसे हैं जहां के करीब दस-बारह फीट गहरे नाले भी सड़क तक भरी गन्दगी से अटे-सटे दिखाई दे जाएंगे। जिसे देखकर तो लगता है कि अलवर में सफाई भी होती है या नही!
अलवर शहर में ये वह क्षेत्र हैं जहां से बारिश के दिनों में बहने वाला गन्दा पानी इन नाले-नालियों से होते हुए शहर से बाहर जाता है। पर अब नाले जब गन्दगी से पूरी तरहा ढक गए हैं तो फिर वह गन्दा पानी को सड़क का ही रास्ते का सहारा होता है, जहां एक ही बारिश में पूरा शहर का मार्ग अवरुद्ध हो जाता है। ऐसे में लोगों का वहां से निकलकर घर जाना या काम पर जाना दूभर हो जाता है।
बात करते हैं ये क्षेत्र हैं लालखान, अखैपुरा, स्वर्ग रोड (तीजकी रोड), चूड़ी मार्कट, रोड न. दो, बस स्टैण्ड रोड, गोपाल टॉकीज, सिविल लाइन, राजकीय सामान्य चिकित्सालय, स्टेशन रोड, एसएमडी चौराहा समीप रोड के नाले व नालियां हैं जहां बारिश के दिनों में एक हल्की सी बारिश ही पूरे शहर को जाम कर देती है। वाहन से तो दूर पैदल निकलना भी दुश्वार हो जाता है। नाले-नालियां पूरी तरहा कचरे से इतना ढक गई है कि सड़क और नाले के कचरे वाली जगह में कोई अन्तर दिखाई नहीं देता। इन नालों में कचरा भी इतना सूख चुका है कि यहां कुछ जगहों पर तो पक्की स्थिति वाली जगह बन गई है तो कुछ जगह गीलापन है तो वहां कचरे वाले पेड-पौधे तक उग चुके हैं। इन सबके अलावा जगह जगह शहर में कचरे के ढेर दिखाई देना आम बात है जबकि साफ-सफाई के लिए बड़ा बजट तक पास होता है ओर फिर भी कचरा वहीं का वहीं दिखाई देता है। अब यह बजट जाता कहां है ये तो नगर निगम अधिकारी, जनप्रतिनिधि ही जाने।

वहीं नाले साफ करने के लिए अलग से बजट पास होता है ओर वह भी जब बारिश का मौसम सिर पर होता है तो नाले कैसे साफ होंगे। ये भी नगर निगम अधिकारी ही जाने कि वे कैसे साफ कराएंगे कागजों में या सही मायने में। बात ये आती है कि गंदगी से पूरी तरहा भरे ये दस-बारह फीट से अधिक गहरेे नाले बारिश से पहले ऐन वक्त पर कैसे साफ होंगे, जिनमें हजारों टन गन्दगी भरी है। हर साल यहीं होता है कि कागजों में नाले-नालियां साफ भी हो जाते हैं ओर गन्दगी अपनी जगह वैसी की वैसी ही जमी रहती है।
इस सबंध में शहर के अनेक जागरूक लोग नगर निगम को जगाते हैं लेकिन निगम वहीं की वहीं सोता दिखाई देता है।
यहां तक शहर के पूर्व पार्षद गौरीशंकर विजय ने तो नगर निगम को इतनी बार जगाया कि वह तक थक गए हैं लेकिन निगम की आंखे तक नहीं खुली। उन्होंने बताया कि वे हर साल बारिश से तीन महीने पहले निगम को नाले-नालियों की सफाई के लिए कहते हैं लेकिन नगर निगम अलवर के कानों तक पर जूं तक नहीं रैंगती। शुक्रवार को ही पूर्व पार्षद गौरीशंकर विजय ने नाले सफाई ओर उनमें भरी गन्दगी को बताया है। यहां तक मौके पर नगर निगम के एक अधिकारी ने भी मौके पर पहुंचकर गन्दगी को देखा ओर वह भी हत्प्रभ रह गया कि ये गन्दगी कैसे साफ होगी जो पूरी तरहा जम चुकी है।
पूर्व पार्षद विजय ने तो अधिकारी को यह भी बताया कि नाले के पास बनी डोलियां (छोटी दीवार) तक टूट चुकी है ऐसे मेंं कोई इन नालों में गिर जाए तो पता भी नहीं चलेगा कि नाले में कोई गिरा भी है या नहीं। एक जगह तो सामने गन्दगी भरा नाला ओर उसके सामने लिखा ‘स्वच्छ भारत मिशन’ स्वच्छता का संदेश देता दिखाई दे रहा है। पूर्व पार्षद विजय ने बताया कि समय पर नाले साफ ना हुए तो वह दिन दूर नहीं जब पूरे शहर में महामारी वाली बन जाएगी।
अब प्रशासन की बात करे तो वह भी हर बार एक समीक्षात्मक बैठक कर इतिश्री कर लेता है। वहीं समीक्षात्मक बैठक में जिला कलक्टर यहां तक सख्ती दिखाते हैं कि यदि कोई भी काम में कोताही बरती या दिखाई दी तो उस अधिकारी-कर्मचारी के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी लेकिन सामने कमी है, कोताही है परन्तु सख्त कार्रवाई दिखाई नहीं देती।
शहर के प्रबुद्जनों ने बताया कि कचरा सबसे अधिक पॉलिथीन, थर्माकॉल, प्लास्टिक का है ना कि सामान्य कचरा। सामान्य कचरा इतना दुखदायी नहीं बनता जो आज पॉलिथीन, प्लास्टिक, थर्माकॉल आदि बन गया है। जबकि उच्चतम न्यायलय के आदेश है कि पॉलिथीन, प्लास्टिक, थर्माकॉल बन्द हो लेकिन यहां कुछ दिन बीच बीच में एक डराने वाली कार्रवाई चलती है ओर फिर सब कुछ ठंडा हो जाता है।

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