Monday, May 6, 2024

फसल विविधीकरण है किसान का भविष्य

  • किसानों को फसल विविधीकरण अपनाने के लिए राज्य सरकार दे रही विशेष प्रोत्साहन राशि
  • वर्ष 2023-24 में 42480 करोड़ लीटर पानी की बचत का लक्ष्य- मनोहर लाल

नई दिल्ली, 22 अक्टूबर

परंपरागत फसलों की खेती करने की बजाय आज किसानों को आधुनिक फसलों की खेती करने की आवश्यकता है, जिससे उनकी आय में वृद्धि तो होगी ही साथ ही पर्यावरण का संरक्षण भी सुनिश्चित होगा। फसल विविधीकरण ही किसान का भविष्य है। इसी दिशा में प्रदेश सरकार ने एक नई पहल करते हुए अपनी तरह की अनूठी मेरा पानी-मेरी विरासत योजना शुरू की , जिसके तहत फसल विविधीकरण करते हुए जल संरक्षण सुनिश्चित करना मुख्य उद्देश्य है। यह योजना आज बेहद कारगर सिद्ध हो रही है और इसकी सफलता को देखते हुए वर्ष 2023-24 में 42480 करोड़ लीटर पानी की बचत का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।

मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने चंडीगढ़ में कहा कि खरीफ-2020 से आरंभ हुई मेरा पानी-मेरी विरासत योजना के तहत सरकार द्वारा धान की फसल को वैकल्पिक फसलों जैसे मक्का, कपास, बाजरा, दलहन, सब्जियां व फल द्वारा विविधिकरण करने के लिए किसानों को 7000 रुपये प्रति एकड़ प्रोत्साहन राशि दी जा रही है। खरीफ वर्ष 2020 में 41,947 किसानों ने कुल 63,743 एकड़ क्षेत्र में फसल विविधिकरण को अपनाया गया तथा इसके लिये 45 करोड़ रुपये का अनुदान प्रदान किया गया। इससे लगभग कुल 22565 करोड़ लीटर पानी की बचत की गई। इसी प्रकार, खरीफ 2023 में पूर्व वर्ष की वैकल्पिक फसलों को इस वर्ष में भी शामिल किया गया है तथा इस योजना में कुल 1.20 लाख एकड़ का फसल विविधिकरण के तहत लक्ष्य रखा गया है, जिस पर लगभग 84 करोड़ रुपये के अनुदान राशि खर्च होने की सम्भावना है। इस योजना में लगभग कुल 42480 करोड़ लीटर पानी की बचत का लक्ष्य है। 31 जुलाई, 2023 तक कुल 32150 किसानों ने अपनी 70170 एकड़ फसल का इस योजना के तहत पंजीकरण करवाया है।

प्राकृतिक खेती – फायदे का सौदा

मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कहा कि मृदा स्वास्थ्य को गिरावट से बचाने और खतरनाक कीटनाशकों के उपयोग को हतोत्साहित करने के लिए राज्य सरकार ने प्राकृतिक खेती योजना लागू की है। वर्ष 2023-24 में प्राकृतिक खेती को प्रोत्साहित करने के लिए 20,000 एकड़ (16000 एकड़ कृषि और 4000 एकड़ बागवानी) का लक्ष्य रखा गया है। इसके लिए सरकार ने एक समर्पित प्राकृतिक खेती पोर्टल शुरू किया है और अब तक 9169 किसानों ने पंजीकरण करते हुए प्राकृतिक खेती में अपनी रूचि दिखाई है। इस योजना के अंतर्गत किसानों को प्रोत्साहित करने के लिए 3000 रुपये 4 ड्रम खरीदने पर, देसी गाय की खरीद के लिए 25000 रुपये की सहायता प्रदान की जाएगी तथा प्राकृतिक खेती उत्पाद की ब्रांडिंग व पैकेजिंग पर प्रोत्साहन राशि देने का प्रावधान किया है.

उल्लेखनीय है कि एनएफटीआई, गुरुकुल कुरूक्षेत्र पहले से ही प्रदेश में प्राकृतिक खेती प्रशिक्षण दे रहा है तथा प्राकृतिक खेती बागवानी प्रशिक्षण केन्द्र मांगियाना, सिरसा में 15 अप्रैल, 2023 से प्रशिक्षण शुरू हो गया है। कृषि विभाग अभी तक 9238 प्रतिभागी (129 प्रगतिशील किसान, 611 युवा किसान, 362 महिला किसान, 6234 सरपंच व एक्स सरपंच, 294 बागवानी किसान, 1608 अधिकारी व किसान राज्य/अन्य राज्य इत्यादि को प्रशिक्षण दे चुके है।

इसके अलावा उन्होंने कहा कि जल संरक्षण को बढ़ावा देने के उद्देश्य से सरकार ने धान की सीधी बिजाई की योजना भी शुरू की है। इसके तहत राज्य के 12 जिलों अम्बाला, यमुनानगर, करनाल, कुरूक्षेत्र, कैथल, पानीपत, जींद, सोनीपत, फतेहाबाद, सिरसा, हिसार तथा रोहतक में धान की सीधी बिजाई (डी.एस.आर) को बढावा देने के लिए प्रदर्शन प्लांट लगाने वाले सत्यापित किसानों को 4,000 रुपये प्रति एकड़ प्रोत्साहन राशि देने का प्रावधान है। वर्ष 2022-23 में 72900 एकड़ का भौतिक सत्यापन किया गया। इसके अंतर्गत 29.16 करोड़ रुपये किसानों को आबंटित किये गए हैं। इसके अलावा, खरीफ 2023 के लिए 2 लाख एकड़ का लक्ष्य रखा गया है.

आज प्रदेश का किसान परम्परागत खेती को छोड़कर प्राकृतिक व फसल विविधीकरण को बड़े पैमाने पर अपना रहा है। इससे किसानों की कम लागत में अधिक आय और बेहतर मूल्य मिलना सुनिश्चित हुआ है। जिससे किसान की आर्थिक हालत में गुणात्मक सुधार हो रहा है.

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